मैंने ख्वाब बिखरते देखे हैं, इन अमीरों की अदालत में। मैंने ख्वाब बिखरते देखे हैं, इन अमीरों की अदालत में।
कहां गलत रही मैं बाबा, कहां गलत रही मैं ? कहां गलत रही मैं बाबा, कहां गलत रही मैं ?
चलों मान लेती हूँ मेरी ही स्कर्ट छोटी थी पर तुम्हारी नीयत का क्या? चलों मान लेती हूँ मेरी ही स्कर्ट छोटी थी पर तुम्हारी नीयत का क्या?
लक्ष्मी बाई’आज से शुरू इसके अस्तित्व की लड़ाई। लक्ष्मी बाई’आज से शुरू इसके अस्तित्व की लड़ाई।
स्त्री हो किसी रूप में, बिना इनके आदमजात सूना है! स्त्री हो किसी रूप में, बिना इनके आदमजात सूना है!
एक औरत ही औरत की दुश्मन बन जाती है! एक औरत ही औरत की दुश्मन बन जाती है!